Skin Pigmentation क्या
है पिगमेंटेशन ?
पिगमेंटेशन विभिन्न कारकों के प्रभाव के कारण होता है, जिसमें जीनेटिक फैक्टर, वातावरणीय अवयव, आहार, अवसाद, रोशनी, और अन्य उत्प्रेरक शामिल हो सकते हैं।
वनस्पतियों में, पिगमेंटेशन की जटिल प्रक्रिया क्लोरोफिल, कैरोटिनॉइड्स, एंथोसियनिन, फ्लावनॉइड्स, आदि जैसे रंगीन पिगमेंटों के निर्माण और वितरण को संचालित करती है।
जन्मजात रंग, बाल, आंखों का रंग, त्वचा का रंग और दाग आदि मनुष्यों में पिगमेंटेशन के उदाहरण हैं। इसके अलावा, उभयचर (एम्फिबियन्स) और पशुओं में भी पिगमेंटेशन की उपस्थिति देखी जाती है।
पिगमेंटेशन अध्ययन और उसके प्रभाव की समझ से हमें विभिन्न जीवों के वर्गीकरण, जीवविज्ञानी अध्ययनों, दवाओं के विकास और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में उपयोग किए जाने वाले प्रभावी उत्पादों की विकसिति में मदद मिलती है।
Skin Pigmentation पिगमेंटेशन कितने प्रकार का होता है
पिगमेंटेशन कई प्रकार का होता है। यहां कुछ प्रमुख पिगमेंटेशन के प्रकार दिए जाते हैं:
ईकोटिक पिगमेंटेशन: यह प्रकृति द्वारा विभिन्न प्राणियों में देखे जाने वाले अनोखे रंग की प्रक्रिया है। इसमें प्राणी अपनी सुरक्षा, संकेतन या संवाद के लिए रंग का उपयोग करते हैं। जैसे कि कैमेलियन, पॉइजन डार्ट फ्रॉग, पिटन, और चित्रपट पापगल आदि।
उत्पादन और सारंगत पिगमेंटेशन: कुछ जीवों में, रंग के पिगमेंटों का निर्माण होता है और इसे उनके शरीर के बाहर प्रदर्शित किया जाता है। यह उत्पादन और सारंगत पिगमेंटेशन के रूप में जाना जाता है। जैसे कि पक्षीयों के पंख, कुछ कीट और सरीसृपों के शरीर की रंगत।
मेलेनिन पिगमेंटेशन: मेलेनिन एक प्रमुख पिगमेंट है जो बाल, त्वचा, और आंखों का रंग निर्धारित करता है। यह प्रकाश तंत्र के कारण रंग को अवशोषित करके उत्पन्न होता है। मेलेनिन पिगमेंटेशन के आधार पर, हमारी त्वचा, बाल, और आंखों का रंग निर्धारित होता है।
फ्लोरेसेंस पिगमेंटेशन: कुछ प्राणियों में, विशेष प्रकाशीय पदार्थों के प्रभाव से रंग का उत्पादन होता है, जो उनकी प्रतिक्रियाशीलता और ध्यान आकर्षण बढ़ाता है। इसे फ्लोरेसेंस पिगमेंटेशन के रूप में जाना जाता है। जैसे कि जेलीफिश, कुछ मछलियाँ, और कुछ सरीसृपों के रंगीन प्रकाशन।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं और पिगमेंटेशन के और भी अनेक प्रकार हो सकते हैं जो जीवों के बीच भिन्नताओं का कारण बनते हैं।
Skin Pigmentation पिगमेंटेशन
के कारण
पिगमेंटेशन के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:
- जीनेटिक कारण: जीनेटिक फैक्टर्स यानी आनुवंशिक उपेक्षादायकता या मुद्रण विकल्प रंग के पिगमेंटेशन के कारण हो सकते हैं। यह जीनों के विशेष वेरिएंट्स या म्यूटेशन के कारण होता है, जो पिगमेंट प्रोटीनों के निर्माण या उनके प्रभावित होने में परिवर्तन प्रदान करते हैं।
- वातावरणीय कारण: पिगमेंटेशन को वातावरणीय कारकों के प्रभाव भी हो सकता है। संवेदनशील जीवों में, जैसे कि चमगादड़, पिगमेंटेशन उनकी पर्यावरणिक सामरिकता और छुपे रहने की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण होता है। वातावरणीय कारक जैसे सूर्य की रोशनी, तापमान, वायुमंडल, और आहार आदि पिगमेंटेशन को प्रभावित कर सकते हैं।
- हार्मोनल कारण: कुछ जीवों में, हार्मोनों का प्रभाव पिगमेंटेशन पर पड़ता है। हार्मोन निर्माण, संतुलन या अवरोध में होने वाले बदलाव पिगमेंटेशन को प्रभावित कर सकते हैं। यह जन्मजात पिगमेंटेशन और बालों के सफेद होने के कारण में से एक होता है।
- आहार: कुछ पिगमेंटों के निर्माण के लिए आवश्यक आहारी तत्व हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पक्षी और समुद्री जीव अल्गा खाने से कारोतेनॉइड पिगमेंटों का उत्पादन करते हैं, जिससे उनकी रंगत विशिष्ट होती है।
ये केवल कुछ प्रमुख कारण हैं और पिगमेंटेशन के अन्य कारण भी मौजूद हो सकते हैं जो जीवों के बीच रंग की विविधता के लिए जिम्मेदार होते हैं।
Skin Pigmentation पिगमेंटेशन
दूर करने के घरेलू उपाय भी करें ट्राई
पिगमेंटेशन
को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं, हालांकि कृपया ध्यान दें कि
इन उपायों का प्रभाव व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकता है और इनका पूर्णतः प्रभावी होने के लिए धैर्य और नियमितता की आवश्यकता होती है। यदि आपकी समस्या गंभीर है, तो विशेषज्ञ
की सलाह लेना उचित होगा।
- लेमन
जूस: लेमन जूस को
निम्नलिखित तरीके से इस्तेमाल करें:
- गुनगुने पानी में नींबू का रस निचोड़कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद धो लें।
- एक टेस्पून नींबू का रस, एक टेस्पून शहद और एक चम्मच दही को मिश्रित करें और इसे चेहरे पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद धो लें।
- टमाटर: टमाटर को पिसकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें। टमाटर में मौजूद लाइकोपीन नामक एंटीऑक्सीडेंट स्किन टोन को समायोजित करने में मदद कर सकता है।
- दही और चावल का पेस्ट: चावल को पीसकर दही के साथ मिलाएं और इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। 20-30 मिनट बाद इसे हल्के हाथों से मलें और फिर साबुन और पानी से धो लें।
- हल्दी और नींबू: एक चम्मच हल्दी को नींबू के रस में मिलाएं और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद धो लें। हल्दी में मौजूद कुर्क्यूमिन रंग को समायोजित करने में मदद कर सकता है।
- नारियल तेल: नारियल तेल को सुबह-शाम प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें। इससे त्वचा को मानसिक और शारीरिक संतुलन मिलता है और पिगमेंटेशन को कम करने में मदद मिलती है।
ध्यान
दें कि ये उपाय व्यक्ति के अनुभव और त्वचा प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यदि आपकी समस्या बहुत गंभीर है या ये उपाय असंगत लगते हैं, तो आपको
एक त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।