IVF तकनीक द्वारा अपने ही एग और स्पर्म से बन सकते हैं पेरेंट्स

हाँ, IVF (In Vitro Fertilization) तकनीक का उपयोग करके आप अपने खुद के एग (अंडों) और स्पर्म (शुक्राणु) से पेयरेंट्स बन सकते हैं। IVF एक प्रजनन तकनीक है जिसमें एग और स्पर्म को पेट्री डिश में मिलाया जाता है, जहां गर्भाशय के बाहर उन्हें प्राकृतिक रूप से शरीर की प्रक्रिया के लिए तैयार किया जाता है।

IVF की प्रक्रिया के दौरान, एग और स्पर्म को संग्रहीत किया जाता है और फिर वैज्ञानिकों द्वारा एक प्रयोगशाला में विशेषाधिकारिक शरीर की स्थिति को मनोवैज्ञानिक ढंग से नकारात्मक किया जाता है। एग को स्त्रीजनिती कर दिया जाता है, जिससे उसे गर्भाशय में स्थानांतरित किया जा सकता है। स्पर्म को वैज्ञानिक तत्वों के साथ उपच्छेदित किया जाता है और इसके बाद एग के पास पहुंचाया जाता है।


जब यह प्रक्रिया पूरी होती है, तो इसके बाद एग और स्पर्म का विलय होता है, जिससे एम्ब्रियो का निर्माण होता है। एम्ब्रियो को विशेष शरीरिक परिस्थितियों में विकसित किया जाता है, और जब विशेष अवस्था तक पहुंचता है, तो यह गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।

IVF एक उपयुक्त तकनीक है जो उन जोड़ों के लिए विकल्प प्रदान कर सकती है जो प्राकृतिक रूप से बालग्रस्त हैं या जिनमें इन तकनीकों के अन्य कारणों से संतान प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। इसके लिए, विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श और समर्थन की आवश्यकता होती है |

IVF तकनीक क्या है?


IVF (In Vitro Fertilization) एक प्रजनन तकनीक है जिसका उपयोग बांझपन (इनफर्टिलिटी) के उपचार और जीवित जन्म के लिए विकल्प प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में, एग (अंडा) और स्पर्म (शुक्राणु) को पेट्री डिश में मिलाया जाता है, जहां एग को गर्भाशय के बाहर उन्नत लैब में औषधीय प्रयोगों के माध्यम से उन्नत बनाया जाता है और उसके बाद स्पर्म को एग के पास पहुंचाया जाता है। यह प्रक्रिया लैबोरेटरी में प्रयोगशाला परिसर में संचालित की जाती है.

IVF की प्रक्रिया विशेष रूप से निम्नलिखित चरणों पर आधारित होती है:

  1. स्टिमुलेशन (Stimulation): इस चरण में, महिला को गर्भाशय स्टिमुलेट करने वाली दवाओं की सेवन की जाती है ताकि उसके एग की संख्या बढ़े। इसका उद्देश्य है कई एगों को उत्पन्न करना, जो सभी को एक साथ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

  2. एग प्राप्ति (Egg Retrieval): एग प्राप्ति के लिए, एग प्राप्त करने की प्रक्रिया सुरक्षित रूप से निर्देशित चिकित्सकीय प्रक्रिया होती है। इसमें, विशेषज्ञ चिकित्सक गुदाशय के अंदर एक सुरंग के माध्यम से एगों को निकालते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर स्थानीय अवजेंश (एनेस्थेशिया) के तहत की जाती है ताकि महिला को यह दर्द न हो।

  3. स्पर्म संग्रह (Sperm Collection): स्पर्म की प्राप्ति के लिए, पारिश्रमिक संग्रह या अन्य तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। पुरुष को संग्रह किए गए स्पर्म का नमूना प्रदान करना होता है।

  4. एग और स्पर्म के मिश्रण (Fertilization): एग और स्पर्म को पेट्री डिश में मिलाया जाता है, जहां स्पर्म द्वारा एग को उपच्छेदित किया जाता है। इस प्रक्रिया को 'इनविट्रो फर्टिलाइजेशन' कहा जाता है।

  5. एम्ब्रियो विकास (Embryo Development): जब एग और स्पर्म का मिश्रण होता है और एग उपच्छेदित होता है, तो एम्ब्रियो का विकास शुरू होता है। एम्ब्रियो को लैबोरेटरी में माध्यम से विशेष शरीरिक परिस्थितियों में विकसित किया जाता है।

  6. एम्ब्रियो ट्रांसफर (Embryo Transfer): जब एम्ब्रियो की विकास पूरा होता है, तब विशेषज्ञ चिकित्सक उन्हें महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करते हैं। इस प्रक्रिया को 'एम्ब्रियो ट्रांसफर' कहा जाता है।

इसके बाद, गर्भाधान की संभावना होती है और गर्भाधान संबंधी स्थिति की निगरानी की जाती है। यदि गर्भाधान होता है, तो गर्भावस्था की साधना की जाती है और निर्जनों की देखभाल की जाती है।


आईवीएफ की नौबत कब आती है?


IVF (In Vitro Fertilization) तकनीक का उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है। यह निम्नलिखित स्थितियों में विचार किया जा सकता है:

  1. बांझपन (इनफर्टिलिटी): जब एक जोड़ा बच्चा प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक रूप से असमर्थ होता है, तब चिकित्सा विशेषज्ञ IVF की सलाह देते हैं। यह बांझपन के विभिन्न कारणों, जैसे महिला और पुरुष जांघियों की त्रुटियों, अंडाशय रोग, शुक्राणु की कमी आदि के लिए एक विकल्प हो सकता है।

  2. अनुकरणीय रोग (गांठें): कई महिलाओं को गर्भाशय की अनुकरणीय रोग, जैसे गर्भाशय में पाइपेशियों की बंदिश, गर्भाशय की गांठें या फिब्रोइड्स होते हैं। IVF तकनीक इस्तेमाल करके, एगों को सीधे गर्भाशय के बाहर प्राप्त किया जा सकता है, जिससे इन समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।

  3. वंशांश रोग (जेनेटिक डिसोर्डर्स): यदि जोड़े के एक सदस्य में वंशांश रोग है, जैसे एकल संवर्धित रोग, डाउन सिंड्रोम, हानर सिंड्रोम, तो IVF तकनीक प्रयोग करके जोड़े के एग और स्पर्म का प्रयोग किया जा सकता है, जहां एम्ब्रियो को गांठी जांच के माध्यम से पहचाना जा सकता है। ऐसे मामलों में, स्वस्थ एम्ब्रियो का चयन करके प्राकृतिक रूप से प्रजनन किया जा सकता है।

  4. संग्रहीत स्पर्म: कई मामलों में, पुरुष के शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता संबंधी समस्याएं होती हैं, जिससे प्राकृतिक रूप से गर्भाधान करने में कठिनाई हो सकती है। IVF तकनीक में, संग्रहीत स्पर्म का उपयोग किया जाता है, जिससे एग को उपच्छेदित किया जा सकता है और गर्भाधान की संभावना बढ़ा सकती है।

इन सभी स्थितियों में, IVF तकनीक एक विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह अंतिम निर्णय चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा किया जाना चाहिए, जो आपके व्यक्तिगत स्थिति को मान्यता देखकर सर्वोच्च मानकों और संरचनाओं के अनुसार करेंगे।

IVF करने की क्या प्रक्रिया है?

IVF (In Vitro Fertilization) करने की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों से मिलकर संघटित होती है:

  1. स्तंभन (Stimulation): इस पहले चरण में, महिला को अधिक संख्या में एग प्राप्त करने के लिए औषधियों के उपयोग के माध्यम से उत्तेजित किया जाता है। यह उपचार महिला के गर्भाशय के अंदर होता है और अंदाज़े से आठ से चालीस दिन तक चलता है।

  2. एग संग्रह (Egg Retrieval): यह चरण चिकित्सक द्वारा संचालित होता है। महिला को यह चरण अस्थायी एनेस्थेजिया के तहत प्राप्त करती है ताकि उसे कोई दर्द न हो। चिकित्सक एक सुरंग के माध्यम से गुदाशय में स्थित एगों को निकालते हैं।

  3. स्पर्म संग्रह (Sperm Collection): पुरुष को संग्रह किए गए स्पर्म का नमूना प्रदान करना होता है। संग्रह के लिए, पारिश्रमिक संग्रह या अन्य तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

  4. एग और स्पर्म का मिश्रण (Fertilization): एग और स्पर्म को पेट्री डिश में मिलाया जाता है, जहां स्पर्म द्वारा एग को उपच्छेदित किया जाता है। इस प्रक्रिया को 'इनविट्रो फर्टिलाइजेशन' (In Vitro Fertilization) कहा जाता है।

  5. एम्ब्रियो परिवर्धन (Embryo Cultivation): उपच्छेदित एगों से बने हुए एम्ब्रियो को लैब में सुरक्षित और उचित माहौल में पालित किया जाता है। यह कुछ दिनों तक देखभाल की जाती है और एम्ब्रियो का विकास और गुणवत्ता मापन किया जाता है।

  6. एम्ब्रियो ट्रांसफर (Embryo Transfer): सफलतापूर्वक परिवर्धित एम्ब्रियो को चिकित्सक द्वारा महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो ट्रांसफर कहा जाता है।

  7. गर्भाधान की निगरानी (Pregnancy Monitoring): एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद, महिला की गर्भावस्था की निगरानी की जाती है। गर्भावस्था की प्रगति के लिए नियमित चेकअप और स्कैन किए जाते हैं।

यह प्रक्रिया आमतौर पर एक IVF संगठन द्वारा नियोजित की जाती है, जहां चिकित्सा विशेषज्ञ और वैज्ञानिक संपूर्ण मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं। यह तकनीक कई पारिवारिक स्थितियों के लिए विकल्प के रूप में उपयोगी हो सकती है, लेकिन संगठित और पेशेवर मार्गदर्शन के बिना इसे अपनाना सुरक्षित नहीं हो सकता है।

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